lifestyle का असर सेहत पर ही नहीं, हॉर्मोन्स और फर्टिलिटी पर भी

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lifestyle का असर सिर्फ हमारी सेहत पर ही नहीं पड़ रहा बल्कि इसकी वजह से हॉर्मोन्स और फर्टिलिटी भी प्रभावित हो रही है.

हेल्थ डेस्क,लोक हस्तक्षेप

lifestyle का असर हॉर्मोन्स और फर्टिलिटी यही कारण है कि बड़ी संख्या में कपल्स को गर्भधारण में दिक्कत आ रही है

वे इन्फर्टिलिटी से जुड़ी परेशानियों का सामना कर रहे हैं.

ऐसे में अगर आप भी बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको और आपकी पार्टनर को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए,

ताकि नैचरल तरीके से आप दोनों की फर्टिलिटी पावर बेहतर हो सके.

पैरंट्स बनना कोई आसान काम नहीं है. सबसे पहले तो आपको अपने ऑव्यूलेशन साइकल की पूरी जानकारी होनी चाहिए.

वैसी महिलाएं जिनका मेन्स्ट्रुएशन साइकल रेग्युलर है उनमें 5 से 7 दिन का विंडो ऐसा होता है जिस दौरान वे सबसे ज्यादा फर्टाइल रहती हैं.

उनके कंसीव करने या गर्भधारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है.

सेक्स कब करना है, कितनी बार करना है और किन डेट्स पर करना है- अगर इन बातों की जानकारी हो तो जल्दी प्रेग्नेंट होने में सुविधा होती है.

आप चाहें तो इसके लिए ऑव्यूलेशन किट्स की मदद ले सकती हैं.

एक्सर्साइज सिर्फ आपको फिट ही नहीं रखता बल्कि इसके कई और फायदे भी हैं.

फिजिकली ऐक्टिव रहना आपके रीप्रॉडक्टिव सिस्टम के लिए भी बेहद फायदेमंद है.

एक्सर्साइज करने से आपका बॉडी वेट सही बना रहता है, स्ट्रेस को मैनेज करना आसान होता है,

ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है और फर्टिलिटी साइकल भी नैचरली बेहतर बनता है.

हर दिन कम से कम 30 से 45 मिनट एक्सर्साइज जरूर करें ताकि ऑव्यूलेशन बेहतर हो सके.

फर्टिलिटी लेवल को बनाए रखने में आपकी डायट और लाइफस्टाइल भी अहम रोल प्ले करती है.

अपनी डायट में ऐंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर चीजें शामिल करें, ऑव्यूलेशन बूस्ट करने वाले फूड आइटम्स खाएं, कैफीन, ऐल्कॉहॉल और तंबाकू वाले प्रॉडक्ट्स से दूरी बनाएं.

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इन बदलावों के जरिए आपके लिए प्रेग्नेंट होना आसान होगा और आपका शरीर भी फिट और हेल्दी रहता है.

आप चाहें तो कुछ प्रीनेटल विटमिन्स को भी खाने में शामिल कर सकते हैं.

बच्चे को इस दुनिया में लाने से पहले आपको बता होना चाहिए कि एक पैरंट के तौर पर आपको किसी तरह का हेल्थ रिस्क तो नहीं है.

अगर आपको किसी तरह का मेडिकल इशू है तो गर्भधारण करने से पहले ही उसकी जांच करवाएं.

आपको अपनी सभी तरह की क्रॉनिक हेल्थ प्रॉब्लम्स को भी कंट्रोल में रखने की कोशिश करनी चाहिए और इसके लिए रेग्युलर हेल्थ चेकअप भी जरूरी है.

अगर आपको लग रहा कि स्ट्रेस और तनाव से भरा जीवन ही आपकी फर्टिलिटी को कमजोर बना रहा है तो वक्त आ गया है कि आप खुद पर थोड़ा ध्यान दें.

जहां तक संभव हो स्ट्रेस से दूर रहने की कोशिश करें.

दरअसल स्ट्रेस का सीधा असर रिप्रॉडक्टिव हॉर्मोन्स पर पड़ता है जिससे आपकी फर्टिलिटी कमजोर हो जाती है,खासकर महिलाओं में.

आप चाहें तो डीस्ट्रेस थेरपी अपनाएं, रिलैक्सेशन टेक्नीक्स अपनाएं, प्रीनेटल मसाज के लिए जाएं,

योगा करें या फिर कुछ भी ऐसा करें जिससे आपको शांति मिले और आप रिलैक्स कर पाएं.

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