मनी लॉन्ड्रिंग में दागदार हुई Amway मल्टीलेवल मार्केटिंग का फंडा और प्रॉडक्ट डिटेल, जानें सब कुछ

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Amway

नई दिल्ली: एमवे इंडिया (Amway India) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने कंपनी की 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है.

एमवे इंडिया (Amway India) पर मल्टीलेवल मार्केटिंग स्कैम (Multi-Level Marketing Scam) चलाने का आरोप है.

कहा जा रहा है कि जो संपत्तियां जब्त की गई हैं, उनमें तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में कंपनी की जमीन, फैक्ट्री, प्लांट्स व मशीनरी, वाहन, बैंक खाते और एफडी शामिल हैं.

ईडी ने एमवे की 411.83 करोड़ रुपये की अचल और चल संपत्ति जब्त की है.

इसके अलावा 36 विभिन्न खातों से 345.94 करोड़ रुपये के बैंक बैलेंस को अस्थायी रूप से कुर्क किया है.

अपनी कथित पिरामिड स्कीम प्रैक्टिसेज के लिए एमवे के खिलाफ कई देशों में और कई संस्थानों द्वारा जांच की गई हैं. लेकिन इसे कभी भी दोषी करार नहीं दिया गया.

हालांकि कंपनी अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों को सेटल करने के लिए करोड़ों डॉलर कर भुगतान कर चुकी है.आइए जानते हैं एमवे कहां की कंपनी है, इसकी शुरुआत कैसे हुई और भारत में इसने कब कदम रखा…

एमवे अमेरिका की कंपनी है, जिसका पूरा नाम ‘अमेरिकन वे’ है.

Amway एक मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी है, जो हेल्थ, ब्यूटी व होम केयर प्रॉडक्ट्स बेचती है. एमवे को साल 1959 में Jay Van Andel और Richard DeVos ने शुरू किया था.

कंपनी का हेडक्वार्टर ऐडा, मिशीगन में है.एमवे और इसकी सिस्टर कंपनी Alticor ने साल 2019 में 8.4 अरब डॉलर की बिक्री की थी.

एमवे 100 से ज्यादा देशों व टेरिटेरीज में एफिलिएटेड कंपनियों के जरिए कारोबार करती है.

भारत में यह एमवे इंडिया के जरिए मौजूद है.

एमवे (Amway) अमेरिका की कंपनी है, जिसका पूरा नाम ‘अमेरिकन वे’ है.

एमवे 100 से ज्यादा देशों व टेरिटेरीज में एफिलिएटेड कंपनियों के जरिए कारोबार करती है.

भारत में यह एमवे इंडिया के जरिए मौजूद है.

ईडी ने एमवे इंडिया (Amway India) की 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है.

Jay Van Andel और Richard DeVos स्कूल टाइम से दोस्त थे. उन्होंने कई छोटे मोटे बिजनेस भी साथ में किए, जैसे कि हैमबर्गर स्टैंड, एयर चार्टर सर्विस आदि.

1949 में वैन एंडेल के कजिन ने उनकी पहचान न्यूट्रिलाइट प्रॉडक्ट कॉरपोरेशन से कराई,

इसके बाद एंडेल और डेवोस न्यूट्रिलाइट फूड सप्लिमेंट्स के डिस्ट्रीब्यूटर बन गए.

बेचे जाने वाले हर प्रॉडक्ट पर प्रॉफिट बढ़ाने के लिए न्यूट्रिलाइट,

मौजूदा डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा जोड़े जाने वाले नए डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा की जाने वाली बिक्री पर कमीशन की पेशकश करती थी.

यह सिस्टम मल्टी लेवल मार्केटिंग या नेटवर्क मार्केटिंग के तौर पर जाना जाता है.

1958 आते आते डेवोस और वैन एंडेल ने 5000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स का ऑर्गेनाइजेशन क्रिएट कर लिया.

इसके बाद अप्रैल 1959 में उन्होंने व उनके कुछ टॉप डिस्ट्रीब्यूटर्स ने न्यूट्रिलाइट की स्टेबिलिटी को लेकर पैदा हो रही चिंताओं को देखते हुए एमवे का गठन किया.

इसके पीछे एक मकसद मार्केट में अतिरिक्त प्रॉडक्ट्स की संभावनाएं तलाशना भी था.

एमवे के पहले प्रॉडक्ट का नाम फ्रिस्क था जो कि एक ऑर्गेनिक क्लीनर था और इसे ओहियो के एक वैज्ञानिक ने बनाया था.

डेवोस और वैन एंडेल ने इसे मैन्युफैक्चर करने और डिस्ट्रीब्यूट करने के अधिकार खरीद लिए थे.

बाद में इस प्रॉडक्ट का नाम लिक्विड ऑर्गेनिक क्लीनर कर दिया गया.

इसके बाद जल्द ही उन्होंने एमवे सेल्स कॉरपोरेशन और एमवे सर्विसेज कॉरपोरेशन की स्थापना की.

1960 में एमवे ने एटको मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में 50 फीसदी हिस्सेदारी ले ली और इसका नाम बदलकर एमवे मैन्युफैक्चरिंग कॉरपारेशन कर दिया.

1962 में कंपनी ने कनाडा में पहला इंटरनेशनल कार्यालय खोला.

1964 में एमवे सेल्स, एमवे सर्विसेज और एमवे मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन को मर्ज करके एमवे कॉरपोरेशन बनाई गई.

एमवे ने न्यूट्रिलाइट में 1972 में कंट्रोलिंग स्टेक खरीदे

और 1994 में फुल ओनरशिप की मालिक हो गई. 2015 में एमवे ने एक्सएस एनर्जी ड्रिंक्स को खरीद लिया.

एमवे मल्टी लेवल मार्केटिंग स्ट्रैटेजी को डायरेक्ट सेलिंग के साथ जोड़ती है.

एमवे डिस्ट्रीब्यूटर्स को आईबीओ यानी इंडिपेंडेंट बिजनेस ओनर्स कहा जाता है.

ये संभावित ग्राहकों को उत्पादों की सीधे मार्केटिंग कर सकते हैं

और आईबीओ बनने के लिए अन्य लोगों को स्पॉन्सर या मेन्टोर कर सकते हैं.

आईबीओ, अपने द्वारा व्यक्तिगत रूप से बेचे जाने वाले किसी भी उत्पाद पर रिटेल मार्कअप से तो आय अर्जित कर ही सकते हैं,

इसके अलावा अपने व अपने द्वारा स्पॉन्सर्ड आईबीओ द्वारा की गई बिक्री के आधार पर एक परफॉरमेंस बोनस भी अर्जित कर सकते हैं.

लोग रियायती कीमतों पर उत्पाद खरीदने के लिए आईबीओ के रूप में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के मुताबिक, एमवे के संस्थापकों ने एक विस्तृत पिरामिड जैसी वितरण प्रणाली के इस्तेमाल से सफलता हासिल की.

इस प्रणाली में एमवे उत्पादों के स्वतंत्र वितरकों को, उनके द्वारा बेचे गए माल पर तो एक तय परसेंटेज में बोनस या कमीशन मिलता ही है,

साथ ही उनके द्वारा बनाए गए वितरकों द्वारा बेचे गए माल पर भी एक तय परसेंटेज में बोनस मिलता है.

अमेरिका के बाहर कब कहां रखा कदम
1971 में ऑस्ट्रेलिया
1973 में यूरोप के कुछ हिस्सों में
1974 में एशिया के कुछ हिस्सों में
1979 में जापान में
1985 में लैटिन अमेरिका में
1987 में थाइलैंड में
1995 में चीन में
1997 में अफ्रीका में
भारत और स्कैनडिनैविया में 1998 में
2003 में यूक्रेन में
2005 में रूस में
2008 में वियतनाम में
भारत, एमवे के टॉप 10 बाजारों में शामिल है.

एमवे की चीन,भारत और अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज हैं, वहीं ब्राजील, मैक्सिको और अमेरिका में न्यूट्रिलाइट ऑर्गेनिक फार्म हैं.

1999 में एमवे कॉरपोरेशन के फाउंडर्स ने एक नई होल्डिंग कंपनी बनाई, जिसे Alticor नाम दिया गया.

दिसंबर 2021 में एमवे इंडिया का कारोबार 2000 करोड़ रुपये का था.

एमवे इंडिया न्यूट्रीशिन, पर्सनल केयर जैसे हेयर केयर व बॉडी केयर, होम एंड लिविंग, ब्यूटी कैटेगरी में 85 से ज्यादा हाई क्वालिटी प्रॉडक्ट्स की बिक्री करती है.

एमवे के ब्रांड्स में आर्टिस्ट्री स्किन केयर, SATINIQUE एडवांस्ड हेयर केयर सिस्टम, एटमॉस्फियर, बॉडी ब्लेंड्स, बॉडीकी, बॉडी वर्क्स,

क्लियन नाउ, ग्लिस्टर, पीटर आयलैंड, न्यूट्रिलाइट फूड सप्लीमेंट, डायनामाइट मेल ग्रूमिंग रेंज, SA8 लॉन्ड्री सिस्टम आदि शामिल हैं.

एमवे के प्रॉडक्ट्स को इसके डायरेक्ट सेलर्स या डायरेक्ट रिटेलर्स से खरीद सकते हैं.

एमवे और विवादों का पुराना नाता है.कंपनी पर विभिन्न देशों में कई बार मुकदमे और जांच चले.

कभी पिरामिड स्कीम को लेकर, कभी टैक्स फ्रॉड को लेकर,

डिरेगुलेशन के लिए लॉबीइंग को लेकर, कभी नियमों के उल्लंघन को लेकर आदि.

भारत में भी एमवे कई बार विवादों में रही और पुलिस की रेड, सर्च व सीजर जैसे ऑपरेशन चले

मई 2013 में एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज के तत्कालीन एमडी व सीईओ विलियम एस पिनकने को केरल पुलिस के क्राइम ब्रांच अधिकारियों ने दो अन्य निदेशकों के साथ गिरफ्तार भी किया था.

उन पर पिरामिड स्कीम चलाने का आरोप था, हालांकि उन्हें अगले ही दिन जमानत मिल गई और कारोबार प्रभावित नहीं हुआ.

इसके बाद एक बार फिर एक कंज्यूमर की शिकायत पर पिनकने गिरफ्तार हुए और उन्हें दो महीने की जेल हुई.

उसके बाद वह जमानत पर रिहा हो गए.

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