Rafales विमानों ने यूएई के एयरबेस पर की लैंडिंग

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Rafales विमान यूएई के अल दफ्रा एयरबेस पर उतरे, वहां से भारत के लिए उड़ान भरेंगे,
सभी विमानों के बुधवार को भारत पहुंचने की उम्मीद है

नई दिल्ली:LNN:Rafales विमानों की पहली खेप के रूप में पांच विमान सोमवार को फ्रांस से भारत के लिए रवाना हो गए हैं.

ये पांचों विमान ने सोमवार की यात्रा पूरी कर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अल दफ्रा एयरबेस (Al Dhafra airbase) पर लैंडिंग की है.

Rafales को फ्रांस से यूएई पहुंचने में सात घंटों का वक्त लगा. ये विमान अल दफ्रा एयरबेस से उड़ान भरेंगे तो सीधे भारत ही पहुंचेंगे.

फ्रांस के बंदरगाह शहर बोर्डेऑस्क में वायुसेना अड्डे से रवाना हुए,

ये विमान लगभग सात हजार किलोमीटर का सफर तय करके बुधवार को अंबाला वासुसेना अड्डे पर पहुंचेंगे.

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वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है.

भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं,

जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 10 विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है,

और इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रुकेंगे.

बयान में कहा गया है कि सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी.

वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था.

फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने विमानों के फ्रांस से उड़ान भरने से पहले भारतीय वायुसेना के पायलटों से बातचीत की.

इन पांच राफेल लड़ाकू विमानों को बुधवार दोपहर वायुसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है.

हालांकि, वायुसेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि इन्हें एयरफोर्स में शामिल करने को लेकर औपचारिक समारोह का आयोजन अगस्त के मध्य में किया जाएगा.

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भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था.

चूंकि राफेल के साथ इजरायल के स्पाइस 2000 बम के कन्सॉलिडेशन और टेस्टिंग में लंबा समय लग रहा है,

इसलिए इनमें हैमर मिसाइलों को फिट करने का फैसला किया गया है.

यह भारतीय वायुसेना को बिना किसी देरी के राफेल विमानों का संचालन करने में सक्षम बनाएगा.

सूत्रों ने कहा कि उभरती हुई आपात स्थिति में भारत के पास हैमर मिसाइलों के इस्तेमाल के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है,

जो पहले से ही राफेल जेट में के अनुकूल है.

अब लड़ाकू विमानों में स्पाइस 2000 बमों को लगाने को नजरअंदाज किया जा रहा है.

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