Guru Nanak Jayanti: कार्तिक पूर्णिमा के दिन जन्‍मे थे गुरु नानक देव

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Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक जी सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे. उन्‍होंने ही सिख समाज की नींव रखी. उनके अनुयायी उन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह कहकर पुकारते हैं.

नई दिल्‍ली:LNN: Guru Nanak Jayanti: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी के जन्म दिवस के दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व मनाया जाता है.

गुरु नानक जयंती के दिन सिख समुदाय के लोग ‘वाहे गुरु, वाहे गुरु‘ जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं.

गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन करते हैं, रुमाला चढ़ाते हैं, शाम के वक्त लोगों को लंगर खिलाते हैं.

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गुरु पर्व (Guru Parv) के दिन सिख धर्म के लोग अपनी श्रृद्धा के अनुसार सेवा करते हैं

और गुरु नानक जी के उपदेशों यानी गुरुवाणी का पाठ करते हैं.

आपको बता दें कि गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. इस दिन देवों की दीवाली यानी देव दीपावली भी होती है.

Guru Nanak Jayanti हिन्‍दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है.

ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक गुरु पर्व हर साल नवंबर महीने में आता है.

इस बार गुरु नानक जयंती 12 नवंबर 2019 को है.

हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु पर्व मनाया जाता है.

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गुरु पर्व या प्रकाश पर्व गुरु नानक जी (Guru Nanak Ji) की जन्म की खुशी में मनाया जाता है.

सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 को राय भोई की तलवंडी (राय भोई दी तलवंडी) नाम की जगह पर हुआ था,

जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में है.

इस जगह का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर पड़ा.

यहां बहुत ही प्रसिद्ध गुरुद्वारा ननकाना साहिब भी है, जो सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है.

इस गुरुद्वारे को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं.

शेर-ए पंजाब (Sher-E-Punjab) नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने ही गुरुद्वारा ननकाना साहिब का निर्माण करवाया था.

सिख समुदाय के लोग दीपावली के 15 दिन बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती मनाते हैं.

गुरु नानक जी (Guru Nanak) सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे. उन्‍होंने ही सिख समाज की नींव रखी.

उनके अनुयायी उन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह कहकर पुकारते हैं.

वहीं, लद्दाख और तिब्बत में उन्हें नानक लामा कहा जाता है.

गुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया.

उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए.

पंजाबी भाषा में उनकी यात्रा को ‘उदासियां’ कहते हैं.

उनकी पहली ‘उदासी’ अक्टूबर 1507 ईं. से 1515 ईं. तक रही.

16 साल की उम्र में सुलक्खनी नाम की कन्या से शादी की और दो बेटों श्रीचंद और लखमीदास के पिता बने.

1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) की एक धर्मशाला में उनकी मृत्यु हुई.

मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए.

गुरु अंगद देव ही सिख धर्म के दूसरे गुरु बने.

गुरु नानक जी के उपदेश
1. ईश्वर एक है. वह सर्वत्र विद्यमान है. हम सबका “पिता” वही है इसलिए सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए.

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2. तनाव मुक्त रहकर अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए तथा सदैव प्रसन्न भी रहना चाहिए.

3. गुरु नानक देव पूरे संसार को एक घर मानते थे जबकि संसार में रहने वाले लोगों को परिवार का हिस्सा.

4. किसी भी तरह के लोभ को त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर एवं न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए.

5. कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रुरतमंद को भी कुछ देना चाहिए.

6. लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यत्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए.

7. धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए. उसे अपने हृदय में स्थान नहीं बनाने देना चाहिए.

8. स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए. वह सभी स्त्री और पुरुष को बराबर मानते थे.

9. संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है.

10. अहंकार मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता अतः अहंकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए.

सिख धर्म के गुरुओं के नाम
पहले गुरु – गुरु नानक देव
दूसरे गुरु – गुरु अंगद देव
तीसरे गुरु – गुरु अमर दास
चौथे गुरु – गुरु राम दास
पाचंवे गुरु – गुरु अर्जुन देव
छठे गुरु – गुरु हरगोबिन्द
सातवें गुरु – गुरु हर राय
आठवें गुरु – गुरु हर किशन
नौवें गुरु – गुरु तेग बहादुर
दसवें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह

दस गुरुओं के बाद गुरु ग्रन्थ साहिब को ही सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ माना गया.

गुरु ग्रन्थ साहिब में कुल 1430 पन्ने हैं, जिसमें सिख गुरुओं के उपदेशों के साथ-साथ 30 संतों की वाणियां भी शामिल हैं.

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