दिल्ली एनसीआर की वायु गुणवत्ता फिर हुई ‘गंभीर’

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Delhi air quality शनिवार सुबह मामूली सुधार के बाद वायु की गुणवत्ता प्रतिकूल मौसम और पराली जलाये जाने से प्रदूषण के कारण शाम को फिर ‘गंभीर’ हो गई.

नई दिल्ली:LNN: Delhi air quality प्रदूषण स्तर सुबह आंशिक रुप से कम हुआ था और सूचकांक 394 पर आ गया था.

साल 2013 से लेकर 2016 के बीच, चार में से दो बार दिवाली का त्योहार उस वक़्त नहीं पड़ा था जब किसान अपने खेतों में पराली जला रहे थे.

इन सालों में दिल्ली की एक लोकेशन पर कोई बड़ी औद्योगिक गतिविधि रुकने से वायु प्रदूषण और मौसम पर जो असर हुआ वो भी अध्ययनकर्ताओं ने दर्ज किया.

रिसर्चरों ने पाया कि दिवाली के अगले दिन हर साल पीएम 2.5 की मात्रा क़रीब 40 फ़ीसदी तक बढ़ी.

जब इस आंकड़े को घंटों के आधार पर देखा गया तो रिसर्चरों ने पाया कि दिवाली के दिन शाम 6 बजे से अगले पाँच घंटे बाद तक (यानी क़रीब 11 बजे तक) पीएम 2.5 में 100 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई.

Delhi air quality को मापने वाले प्राधिकरण ने भी पाया है कि साल 2016 और 2017 में दिवाली के बाद प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा.

में शनिवार सुबह मामूली सुधार के बाद वायु की गुणवत्ता प्रतिकूल मौसम और पराली जलाये जाने से प्रदूषण में हुई वृद्धि के कारण शाम को फिर ‘गंभीर’ हो गई.

प्रदूषण स्तर सुबह आंशिक रुप से कम हुआ था और सूचकांक 394 पर आ गया था.

लेकिन शाम को Delhi air quality फिर ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ हो गई एवं सूचकांक 403 दर्ज किया गया.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को दिल्ली में पीएम 2.5 (हवा में तैरते 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम व्यास के कण) स्तर 261 दर्ज किया गया, जबिक पीएम 10 (हवा में तैरते 10 माइक्रोमीटर से भी कम व्यास के कण) 416 दर्ज किया गया.

बोर्ड के अनुसार दिल्ली के 20 क्षेत्रों में ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता रही, जबकि 15 क्षेत्रों में ‘बहुत खराब’ प्रदूषण स्तर रहा.

बोर्ड के मुताबिक, गाजियाबाद, फरीदाबाद और ग्रेटर नोएडा में गंभीर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई जबिक नोएडा और गुड़गांव में बहुत खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई.

वायु गुणवत्ता 0 से 50 तक अच्छी मानी जाती है, 51 से 100 तक संतोषजनक, 101 से 200 तक मध्यम, 201 से 300 तक खराब, 301 से 400 तक बहुत ही खराब और 401 से 500 गंभीर मानी जाती है.

दिल्ली समेत उत्तरी भारत के कई बड़े शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ता है और ऐसा दिवाली के पटाखों के साथ-साथ कई अन्य कारणों के मिश्रण से होता है.

इनमें शामिल है:

पंजाब और हरियाणा के किसानों का पराली जलाना
बड़े और भारी वाहनों से होने वाला उत्सर्जन
दिल्ली एनसीआर में चल रहा भारी निर्माण कार्य
और मौसम में बदलाव जो वायु में प्रदूषण के कणों को फंसा लेता है.

जब दिल्ली में इन तमाम कारणों से वायु प्रदूषण की स्थिति रोज़ बिगड़ ही रही है, तो ऐसे में दिवाली के पटाखे कितना बढ़ा देते हैं? इस बात को समझने की ज़रूरत है.

भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के अनुसार पीएम 2.5 सांद्रता में वृद्धि के कारण मौसम संबंधी स्थिर परिस्थिति, दिल्ली में प्रदूषकों के वायुमंडल में तैरने और पराली जलाने से इस इसमें हुआ इजाफा शामिल है.

यह भी पढ़ें:उर्जित पटेल सरकार के साथ काम करें या RBI गवर्नर का पद छोड़ें:Swadeshi Jagaran Manch

साल 2013 से लेकर 2016 के बीच, चार में से दो बार दिवाली का त्योहार उस वक़्त नहीं पड़ा था जब किसान अपने खेतों में पराली जला रहे थे.

इन सालों में दिल्ली की एक लोकेशन पर कोई बड़ी औद्योगिक गतिविधि रुकने से वायु प्रदूषण और मौसम पर जो असर हुआ वो भी अध्ययनकर्ताओं ने दर्ज किया.

रिसर्चरों ने पाया कि दिवाली के अगले दिन हर साल पीएम 2.5 की मात्रा क़रीब 40 फ़ीसदी तक बढ़ी.

जब इस आंकड़े को घंटों के आधार पर देखा गया तो रिसर्चरों ने पाया कि दिवाली के दिन शाम 6 बजे से अगले पाँच घंटे बाद तक (यानी क़रीब 11 बजे तक) पीएम 2.5 में 100 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई.

दिल्ली के प्रदूषण को मापने वाले प्राधिकरण ने भी पाया है कि साल 2016 और 2017 में दिवाली के बाद प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा.

संस्थान ने कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में बृहस्पतिवार को पराली जलाने की घटना इस साल सर्वाधिक दर्ज की गई.

इससे हो सकता है कि राष्ट्रीय राजधानी में पहले से गंभीर वायु गुणवत्ता और बिगड़ जाए.

वायु में बढ़ने वाले संघटक

पीएम 10
सल्फ़र डाइऑक्साइड
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
ओज़ोन
आयरन
मैगनीज़
बैरीलियम
निकेल
भारत का केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी मानता है कि पटाखों से 15 ऐसे तत्व निकलते हैं जिन्हें मानव शरीर के लिए ख़तरनाक और ज़हरीला माना जाता है.

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