Ladakh LAC : भारत-चीन गोगरा हाइट्स से सेना हटाने पर हुए राजी

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Ladakh LAC

नई दिल्ली: Ladakh LAC : भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लबें समय से चल रहा विवाद अब समाप्त होता दिख रहा है.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक,

लगभग छह महीने तक चली सीमा वार्ता में दोनों देश गतिरोध समाप्त करने पर राजी हो गए हैं.

भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में एक प्रमुख गश्ती बिंदु पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए हैं.

भारत और चीन पूर्वी लद्दाख के गोगरा हाइट्स क्षेत्र से अपनी सेना हटाने पर राजी हो गए हैं.

Ladakh LAC : सीमा पर स्थिरता कायम रखने पर सहमति

माना जा रहा है कि दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख के विवादित स्थानों से सेना की वापसी पर आगे बढ़ने के बारे में खास ब्योरे के आधार पर विचार विमर्श किया.

साथ ही जमीनी स्तर पर संयुक्त रूप से स्थिरता कायम रखने पर सहमति जताई.

सूत्रों ने बताया कि नौ घंटे चली चर्चा में भारतीय पक्ष ने हॉट स्प्रिंग्स व गोगरा इलाके में गतिरोध जल्दी से खत्म करने,

दोनों देशों की सेना तेजी से वापस बुलाने पर पूरा जोर दिया. 12 वें दौर की वार्ता लंबे अंतराल के बाद हुई.

इससे करीब साढ़े तीन माह पहले 11 वें दौर की वार्ता हुई थी.

भारतीय सेना ने बयान में कहा, दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर,

सैनिकों को पीछे हटाने से संबंधित शेष क्षेत्रों के समाधान पर विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान हुआ.

दोनों देशों की वार्ता का यह दौर सकरात्मक रहा है, जिसने आपसी समझ को और बढ़ाया है.

शेष मुद्दों को जल्दी से हल करने और बातचीत की गति को बनाए रखने पर सहमत हुए.

भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर विवाद अप्रैल 2020 में शुरू हुआ था,

जब चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की थी.

उसके बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के अलग-अलग हिस्सों पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने डटी रहीं.

सीमा पर गोगरा और हॉट स्प्रिंग इलाके में पैट्रोलिंग प्वाइंट 15 और 17A को लेकर विवाद है.

यहां पर भारत की मांग है कि चीनी सेना पूरी तरह से पीछे हट जाए.

लेकिन चीन अभी इसपर अड़ा हुआ है.

पिछले साल जुलाई महीने में ये तय हुआ था कि जवानों को पीछे हटाया जाएगा,

लेकिन इसी बीच अगस्त में गलवान घाटी के पास दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई थी.

14 जुलाई को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी.

उस वक्त दुशांबे में शंघाई सहयोग सम्मेलन के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर हुई

इस मुलाकात में एलएसी को लेकर चल रहे मुद्दों पर चर्चा हुई थी.

जयशंकर ने कहा था कि स्थिति में एकतरफा परिवर्तन किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है.

उन्होंने कहा था कि सीमा क्षेत्रों में हमारे संबंधों के विकास के लिए शांति

और व्यवस्था की पूरी तरह वापसी बहुत जरूरी है.

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