Corona Unlock : क्या समय से पहले ही राज्यों ने प्रक्रिया शुरू की!

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Is it the right time to start corona unlock?
Is it the right time to start corona unlock in India?

Corona Unlock:कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर इस बात का नतीजा है कि पहली लहर के बाद सरकार ने मान लिया कि वो कोरोना से जीत चुके हैं

नई दिल्ली: Corona Unlock कोरोना संक्रमण की दूसरी घातक लहर को रोकने के मद्देनज़र कई राज्य सरकारों की तरफ़ से लॉकडाउन का एलान किया था.

इस बार राष्ट्रीय स्तर के लॉकडाउन की घोषणा नहीं हुई थी. कुछ आर्थिक गतिविधियों को छूट के दायरे में रखा गया.

लॉकडाउन के कारण भारत में लगातार कोरोना संक्रमण के नए मामलों में कमी देखने को मिल रही है.

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Corona Unlock: कई राज्य एक जून से शुरू करने की बात कर रहे हैं

“भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी घातक लहर इस बात का नतीजा है,

कि पहली लहर के बाद सरकार ने मान लिया था कि वो कोरोना से जीत चुके हैं.

इस वजह से बिना सोचे समझे समय से पहले ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. लेकिन दूसरी लहर पहली लहर के मुक़ाबले ज़्यादा संक्रामक निकली.”

लेकिन ये भी सच है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहली लहर से अलग है.

पहली लहर के बाद अनलॉक प्रक्रिया का असर कुछ महीनों तक रहा. फ़रवरी तक मामलों में कमी भी देखने को मिली.

Corona Unlock के बाद कोरोना संक्रमण के मामलों में दोबारा तेज़ी फ़रवरी के बाद देखने को मिली.

अगर भारत में नया वेरिएंट नहीं आता, तो स्थिति थोड़ी अलग होती.

नया वेरिएंट इतना अधिक संक्रामक होगा, इसका अंदाज़ा किसी को नहीं थी.”


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हालाँकि ये बात भी सही है कि पिछली लहर की तुलना में इस बार परिस्थितियाँ बिल्कुल अलग हैं.

इस बार राष्ट्रीय स्तर के लॉकडाउन की घोषणा नहीं हुई थी.

राज्यों ने अपने स्तर पर स्थानीय हालात देखते हुए इसका एलान किया था.

कुछ आर्थिक गतिविधियों को छूट के दायरे में रखा गया है और वैक्सीन जैसा हथियार भी है.

क्या पिछली बार भारत सरकार और जनता से चूक हुई थी?

संक्रामक रोग विशेषज्ञ मानते हैं “सबसे पहली बात अनलॉक का मतलब मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और बार-बार हाथ धोने से छुट्टी क़त्तई ना समझे.

राज्य सरकारों को इन नियमों को तोड़ने पर ज़्यादा जुर्माना और ठोस सज़ा का प्रावधान घोषित करना चाहिए,

ताकि जनता इन्हें ना भूले, इनको सख़्ती से अमल में लाने की ज़िम्मेदारी प्रशासन की रहनी चाहिए.

जब तक वायरस है, तब तक इन नियमों का पालन करना है. ये बात जनता को याद रखना चाहिए.

पहली लहर के बाद, लोगों ने अनलॉक का मतलब मास्क की छुट्टी समझ लिया था.

सोशल डिस्टेंसिग को बाय-बाय कह दिया था.”

इस बार वो भूल नहीं करनी चाहिए.

दफ़्तर में अलग से मॉनिटरिंग प्रक्रिया अपनानी होगी. डबल मास्क पहनने की पहल शुरू करनी होगी.”

राज्यों को अनलॉक करने के पहले अब ज़्यादा सोचने की ज़रूरत है,

क्योंकि नए वेरिएंट भी देखने को मिल रहे हैं, जो वैक्सीन की इम्यूनिटी को भी छका रहे हैं.

पुरानी कहावत है – दूसरों की ग़लतियों से सीखने वाला ज़्यादा बुद्धिमान होता है.

कई जानकार मानते हैं कि भारत को ब्रिटेन और ब्राज़ील की ग़लतियों से सबक़ लेना चाहिए.

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