Ex PM BP Koirala ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था: अखिलेश यादव

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Ex PM BP Koirala

Ex PM BP Koirala के भारतीय नेताओं से प्रगाढ़ सम्बंध थे,नेपाली कांग्रेस से निर्वाचित संसद सदस्य अभिषेक प्रताप शाह ने चर्चा में बताया.

लखनऊ:LNN:Ex PM BP Koirala नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के लिए सतत संघर्षरत रहे. अपने जीवन के अधिकांश समय नेपाली कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया.

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से आज नेपाल के सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने भेंटकर उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला के जीवन पर किरन मिश्रा द्वारा लिखित पुस्तक ‘बी.पी. कोइराला-लाइफ ऐंड टाइम्स‘ भेंट की.

नेपाली कांग्रेस से निर्वाचित संसद सदस्य अभिषेक प्रताप शाह ने चर्चा में बताया कि बी.पी. कोइराला के भारतीय नेताओं से प्रगाढ़ सम्बंध थे.

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1959 से 1960 तक नेपाल के प्रधानमन्त्री रहे.

वे नेपाली में लोकतंत्र की स्थापना के लिए मृत्यु पर्यन्त लड़ते रहे.

और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया था.

Ex PM BP Koirala को एक क्रांतिकारी राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रखर लेखक के रूप में याद किया जाता है.

अखिलेश यादव ने कहा कि भारत-नेपाल के ऐतिहासिक-सामाजिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के लिए उनके बीच-सद्भाव और सहयोग की भावना बढ़ाना चाहिए.

नेपाली जनता की मैत्री भारत के लिए बहुत-महत्वपूर्ण है.

बी.पी. कोइराला राजनीतिक स्तर पर लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए आर्थिक विकास के पक्षधर थे.

वे मानते थे कि गरीबी को दूर किए बगैर राजनीतिक आजादी बेमानी होगी.

बी.पी. कोइराला नेपाल में सामंती तत्वों और राजतंत्र के विरोध में सतत संघर्षशील रहे.

वे देशी संसाधनों के बल पर विकास को गति देना चाहते थे जबकि सामंतशाही विदेशी मदद चाहती थी. वे लोकतंत्र में जनता की भागीदारी के प्रबल समर्थक थे.

Ex PM BP Koirala ने भारत की जेलों में 4 वर्ष, नेपाल की जेलों में 11 वर्ष और 7 वर्ष निर्वासन में बिताए.

राजनीतिक जीवन की उथल-पुथल के बीच उन्होंने कई उपन्यास भी लिखे.

चर्चा में भारत के आपातकाल पर बी.पी.कोइराला के विचार भी आए.

वे उससे इतने विचलित थे कि उनका कहना था कि नेपाल में राजशाही के अंतर्गत रहना बेहतर होगा,

बजाय भारत में लोकतांत्रिक महारानी के राज में.

उन्होंने तभी नेपाल जाने का निश्चय किया था, यद्यपि उनके साथी वहां जाने के खतरे के प्रति चिंतित थे.

बी.पी. कोइराला का जन्म वाराणसी में 8 सितम्बर 1914 में हुआ था.

उनके पिता कृष्ण प्रसाद कोइराला नेपाल में राजाशाही के दौर में आंतरिक सुधारों के लिए लड़ते रहे,

तो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी कम सक्रिय नहीं थे.

गांधी जी के आव्हान पर विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर वे खद्दरधारी हो गए थे.

अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए बी.पी. कोइराला जब कक्षा 9 के छात्र थे,

तभी ब्रिटिश राज के खिलाफ एक आतंकवादी गुट में शामिल हो गए.

सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी वे शामिल रहे.

उन्होंने वाराणसी के बीएचयू से बैचलर की डिग्री और कलकत्ता से लाॅ की डिग्री ली.

बी.पी. कोइराला पहले कम्युनिस्टों के सम्पर्क में आए किन्तु उनका मन वहां नहीं रमा. वे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी में सक्रिय हुए.

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें 6 महीने बिहार की बांकीपुर जेल में रखा गया.

जयप्रकाश नारायण जी और लोहिया जी उनके निकट मित्र थे.

कोइराला ने इसके बाद नेपाल में जनतंत्रीकरण की तरफ मोर्चा खोला.

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नेपाली राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की इसके बाद तो कोइराला के दिन आंदोलन और जेल में ही बीते.

उन्हें कई बार राणाशाही ने गिरफ्तार किया जेल यंत्रणाएं दी पर बी.पी. डटे रहे.

अंततः राणाशाही समाप्त हुई, महाराजा त्रिभुवन काठमांडो लौटे.

1959 में बी.पी. कोइराला प्रथम निर्वाचित प्रधानमंत्री चुने गए.

21 जुलाई 1982 को उनका निधन हो गया.

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