CM Yogi Aditynath

CM Yogi Aditynath ने भी प्रदेश के लोगों के सामने अयोध्या मामले पर अपनी बात रखी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएम मोदी ने देश को संबोधित किया

लखनऊ:LNN:CM Yogi Aditynath ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश के लोगों के सामने अपनी बात रखी. पीएम मोदी ने अयोध्या मामले पर देश को संबोधित किया.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सबने पहले भी अपील की थी कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला हो, उसे स्वीकार करना होगा.

हमें बड़ी खुशी है कि सभी लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुले दिल से स्वागत किया है.

उन्होंने मीडिया को धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरे मीडिया ने जिस तरह से इस मामले को प्रस्तुत किया.

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नकारात्मकता को नकारते हुए जिस प्रकार से आगे बढ़ाया वह अभिनंदनीय है.

उन्होंने कहा कि यह फैसला बहुत कुछ संदेश दे रहा है, एक भारत और श्रेष्ठ भारत के संकल्प को आगे बढ़ाने, किसी परिवार या किसी वर्ग,

समुदाय या धर्म से उठकर जो फैसला दिया और जिस प्रकार से इसे स्वीकार किया गया वह प्रशंसनीय है

CM Yogi Aditynath ने कहा कि पांचों न्यायमूर्ति ने जिस प्रकार से एकमत होकर यह फैसला दिया है और जिस प्रकार इसे स्वीकारा है.

वह दर्शाता है कि भारत क्यों दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. दुनिया के सबसे बड़े और पुराने मामले के पटाक्षेप होने पर सबका धन्यवाद देता हूं.

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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मैं अयोध्या गया तो मुझे साफ दिखाई देता था कि किस प्रकार से इसकी अनदेखी की गई है, जैसे लगता था कि अयोध्या वनवास में है.

अब अयोध्या देश और दुनिया में नई चमक और आभा के साथ नजर आएगा.

दशकों पुराने तथा पूरे देश को आंदोलित करते रहे केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए,

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित भूमि का कब्ज़ा सरकारी ट्रस्ट को मंदिर बनाने के लिए दे दिया गया है,

उत्तर प्रदेश के इसी पवित्र शहर में एक ‘प्रमुख’ स्थान पर मस्जिद के लिए भी ज़मीन आवंटित की जाएगी..

इस केस में वादी भगवान रामचंद्र के बालस्वरूप ‘रामलला’ को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक दिया गया है.

सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ ज़मीन का एक ‘उपयुक्त’ प्लॉट दिया जाएगा.

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न्यायमूर्तियों ने कहा कि ऐसा किया जाना ज़रूरी था, क्योंकि ‘जो गलतियां की गईं, उन्हें सुधारना सुनिश्चित करना भी’ कोर्ट का उत्तरदायित्व है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘सहिष्णुता तथा परस्पर सह-अस्तित्व हमारे देश तथा उसकी जनता की धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धता को पुष्ट करते हैं…’

कोर्ट ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट या बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए.

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