Rahul’s tribute to Vajpayee:वाजपेयी की समाधि ‘सदैव अटल’ पर राहुल गांधी की श्रद्धांजलि के क्या हैं मायने ?

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Rahul's tribute to Vajpayee

नई दिल्ली:Rahul’s tribute to Vajpayee:राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा करीब 2800 किलोमीटर की दूरी तय कर दिल्ली पहुंच गई है.

सोमवार को यात्रा के संयोजक और कांग्रेस नेता राहुल गांधी दिल्ली स्थित भारत के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधि स्थल पर पहुंचे.

Rahul’s tribute to Vajpayee:राहुल गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के आइकन रहे अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि सदैव अटल पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

उन्होंने इस दौरान सदैव अटल पर पहुंचकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की.

राहुल गांधी सिर्फ वाजपेयी की समाधि तक ही नहीं रूके बल्कि कई महत्वपूर्ण हस्तियों की समाधि का भी दौरा किया,

जिसमें जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री शामिल हैं.

राहुल के ‘सदैव अटल’ जाने को लेकर बीजेपी के आधिकारिक प्रवक्ता ने सवाल उठाया है.

पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया का कहना है- एक तरफ राहुल श्रद्धांजलि देने सदैव अटल पर जाते हैं

और दूसरी तरफ पार्टी के नेता अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं.

यह दिखाता है कि आपके अंदर कितना जहर है.

कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी भारत जोड़ने में लगे हैं

और सभी समुदाय को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री रहे हैं, इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे.

हालांकि, सियासी गलियारों में 2 वजहों की खासा चर्चा है.

राजनीतिक में सबके अटल- अटल बिहारी राजनीति में अधिकांश समय तक विपक्ष में ही रहे.

विपक्ष में रहने के दौरान वाजपेयी नेहरू से लेकर इंदिरा, राजीव और सोनिया के प्रखर आलोचक थे. इसके बावजूद अटल सबके चहेते थे.

वाजपेयी की राजनीति मुद्दा और विचारों पर आधारित थी. कभी उन्होंने किसी पर व्यक्तिगत हमला नहीं किया.

कट्टरता की राजनीति के खिलाफ- अटल बिहारी ने संसद में एक किस्सा बताया था.

उन्होंने कहा कि जब मैं विदेश मंत्री था, तो अधिकारियों ने मंत्रालय से पंडित नेहरू की तस्वीरें हटा दी.

मैंने तुरंत उसे लगाने का निर्देश दिया. उनके कई बयान आज भी चर्चा में है.

वाजपेयी समन्वय की राजनीति करते थे.

कांग्रेस मोदी और अटल शासन के बीच जनता को अंतर बताना चाहती है.

Rahul’s tribute to Vajpayee:पार्टी हाईकमान का मानना है कि वाजपेयी की तुलना में मोदी सरकार के दौरान देश में नफरत बढ़ा है.

कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि अटल बिहारी की सरकार में सबकी सुनी जाती थी,

लेकिन वर्तमान सरकार में सिर्फ 2 लोगों की चलती है.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश शाह-मोदी को यात्रा में आमंत्रण नहीं करने की बात कह चुके हैं.

एक न्यूज़ वेबसाइट से बातचीत में CSDS के सह निदेशक संजय कुमार ने कहा कि राहुल यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि छोटे-मोटे राजनीतिक लाभ के बजाय कांग्रेस देश जोड़ने की राजनीति करती है.

बीजेपी देश के लिए जाने देने वाले नेताओं का सम्मान नहीं करना जानती है.

अटल के सहारे कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व की पॉलिटक्स में फिर से एंट्री करने की कोशिश कर रही है.

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