नई दिल्ली: Power Crisis : आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, बिहार, दिल्ली
और तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बिजली का संकट गहराता जा रहा है.
तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा कोयले की कमी के मुद्दे को उठाने के बाद केंद्रीय
ऊर्जा मंत्री आर.के.सिंह ने दिल्ली में बिजली आपूर्ति बनाए रखने की बात कही है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हमने आज सभी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी.
दिल्ली में जितनी बिजली की आवश्यकता है, उतनी बिजली की आपूर्ति हो रही है और होती रहेगी.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के.सिंह (Union Power Minister RK Singh) ने कहा कि बैठक में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (GAIL) के सीएमडी भी आए हुए थे.
हमने उन्हें कहा है कि कांट्रैक्ट बंद हो या नहीं, गैस के स्टेशन को जितनी गैस की जरूरत है उतनी गैस आप देंगे.
उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि आपूर्ति जारी रहेगी.
न पहले गैस की कमी थी, न भविष्य में होगी.
आर.के.सिंह ने कोयले की कमी पर कहा कि हमारे पास आज के दिन में कोयले का चार दिन से ज्यादा का औसतन स्टॉक है.
हमारे पास हर दिन स्टॉक आता है.
कल जितनी खपत हुई, उतना कोयले का स्टॉक आया.
टाटा पावर के सीईओ को चेतावनी
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने आगे कहा कि हमारे पास अभी पहले की तरह कोयले का 17 दिन का स्टॉक नहीं है,
लेकिन 4 दिन का स्टॉक है.
कोयले की ये स्थिति इसलिए है क्योंकि हमारी मांग बढ़ी है
और हमने आयात कम किया है.
हमें कोयले की अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी है
और हम इस दिशा में काम कर रहे हैं.
बिजली के लिए मचे हाहाकार पर सफाई देते
हुए आर.के.सिंह ने कहा कि बिना आधार के ये पैनिक इसलिए हुआ क्योंकि गेल ने दिल्ली के डिस्कॉम को एक
मैसेज भेज दिया कि वो बवाना के गैस स्टेशन को गैस सप्लाई एक या दो दिन बाद बंद करेगा.
वो मैसेज इसलिए भेजा क्योंकि उसका कांट्रैक्ट समाप्त हो रहा है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के.सिंह ने कहा कि मैंने टाटा पावर के सीईओ को चेतावनी दी है
कि अगर वे ग्राहकों को आधारहीन SMS भेजते हैं जो कस्टमर्स के बीच दहशत पैदा कर सकते हैं,
तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी पर कांग्रेस नेताओं की टिप्पणी पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा,
“दुर्भाग्य से, कांग्रेस पार्टी के पास विचार खत्म हो गए हैं.
उनके पास वोट खत्म हो रहे हैं और इसलिए उनके पास विचार भी खत्म हो रहे हैं.”
उधर बिजली संकट पर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है और कांग्रेस प्रवक्ता सूरजेवाला ने Tweet कर कहा कि
कोयला ख़त्म!
कोयले की दलाली में हाथ काला करने वाले अंधेरी रात का इंतज़ाम कर रहे हैं।
पानी, पेट्रोल, डीज़ल की तरह बिजली ख़रीदना पड़ेगा। जितने घंटे बिजली चाहिए पैसा दो, बिजली लो….
साहेब ने दोस्तों के लिए ये भी मुमकिन कर दिखाया…#PowerCrisis #ModiMadePowerCrisis
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 10, 2021
कोरोना से जूझती अर्थव्यवस्था
ऊर्जा मंत्रालय ने बताया कि कोरोना से जूझती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बड़ी मात्रा में फैक्ट्रियों व कंपनियों को संचालित किया गया.
इससे बिजली की मांग और खपत बढ़ती चली गई.
देश में बिजली की दैनिक खपत बढ़कर चार अरब यूनिट हो गई.
यह मांग 65 से 70 प्रतिशत कोयले से चलने वाले संयंत्रों से पूरी की जा रही है.
2019 में अगस्त-सितंबर महीने में देश में 106.6 बिलियन यूनिट की खपत थी,
जो 2021 तक बढ़कर 124.2 बिलियन यूनिट हो गई.
डिस्कॉम के अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में बिजली की मांग बढ़ रही है
अब यह 2020 से भी अधिक हो गई है.
डिस्कॉम के अधिकारियों ने बताया कि इस साल जुलाई
और सितंबर के बीच, दिल्ली में बिजली की मांग 2020 के इसी अवधि की तुलना में 53 प्रतिशत अधिक
और 2019 की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक है.
उन्होंने बताया कि आर्थिक गतिविधियों को खोलने और फिर से शुरू करने के अलावा,
शहर की बिजली की मांग पर मौसम का भी गहरा असर पड़ा है.
मासिक आधार पर विश्लेषण करने पर,
दिल्ली में बिजली की मांग 2020 में इसी दिनों की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक है.
60 से 160 डॉलर पहुंचे कोयले के दाम
मंत्रालय की ओर से बताया गया कि बाहर से आयात होने वाले कोयले के दाम सितंबर अक्तूबर में
160 डॉलर प्रति टन हो गए, जो मार्च में 60 डॉलर प्रति टन थे.
अचानक से दाम बढ़ने के कारण बाहर से आयात होने वाले कोयले में कमी आई
और घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ती चली गई.
इस कारण आयातित कोयले से बिजली उत्पादन में 43.6 प्रतिशत की कमी आई.
अप्रैल से सितंबर के बीच घरेलू कोयले की मांग 17.4 मीट्रिक टन बढ़ गई.