Migrant workers सरकार की नाकामी से ही साधन न होने पर पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफर तय करने पर मजबूर.

नई दिल्ली:LNN:Migrant workers को ठीक तरह से भोजन न मिलने और उनके घर जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर प्रदर्शन कर रहा हैं.

विपक्ष का आरोप है कि सरकार की नाकामी की वजह से ही साधन न होने पर मजदूर पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफर तय करने पर मजबूर हैं.

Migrant workers की मौत के मामले भी सामने आए हैं. कुछ मजदूर हादसे का शिकार हो गए.

कोरोनावायरस लॉकडाउन की भारत में गरीब तबके पर सबसे ज्यादा मारपड़ी है. कोरोना से बचाव के चलते देश 25 मार्च से लॉकडाउन है.

ऑरेंज व ग्रीन जोन में 4 मई से थोड़ी छूट मिली है.

इसको लेकर विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं.

फंसे हुए लोगों के मसले पर चौतरफा घिरने के बाद अब सरकार अपनी छवि बदलने की तैयारी कर रही है.

जानकारी के अनुसार, ‘मोदी सरकार 2.0′ का एक साल पूरा होने पर केंद्र अपनी छवि को दुरुस्त करने की तैयारी कर चुका है.

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सरकारी सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकार सभी क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों को एकत्र कर उसके प्रसार की तैयारी कर रही है.

इसको लेकर एक बुकलेट जनता के बीच बंटवाई जाएगी.

सभी मंत्रालयों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जाएगा, जिससे जनता यह जान सके कि गरीबों, महिलाओं, किसानों और युवाओं के लिए संबंधित मंत्रालय ने क्या काम किया है.

बुकलेट में इस बात का भी जिक्र होगा कि मोदी सरकार ने Migrant workers के लिए क्या कार्य किए हैं.

इस एक्सरसाइज का मकसद केंद्र की उपलब्धियों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाना है.

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लॉकडाउन के चलते कई राज्यों में फंसे हुए मजदूरों को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमला बोल रहा है.

औरंगाबाद जिले में घर लौट रहे 16 मजदूरों की एक ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो गई.

महाराष्ट्र से निकला मजदूरों का समूह मध्य प्रदेश अपने घर जाने के लिए पैदल निकला था.

मजदूरों की घर वापसी को लेकर ही केंद्र सरकार ने राज्यों की अपील के बाद ‘श्रमिक स्पेशल‘ ट्रेनें चलाई हैं.

अभी तक 100 से ज्यादा ट्रेनों से हजारों लोगों को उनके राज्य भेजा जा चुका है.

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