International kite festival of india on Makar Sankranti

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Makar Sankranti

Makar Sankranti पर गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का होता है आयोजन

Makar Sankranti पर पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

वसंत पंचमी और Makar Sankranti  के अलावा उत्तर प्रदेश में दिवाली के अगले दिन भी पतंग खूब उड़ाई जाती हैं.

गुजरात में Makar Sankranti पर अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन होता है.

कभी रीति रिवाज परंपरा और त्योहार के रूप में उड़ाए जाने वाली पतंग आज मनोरंजन का पर्याय बन गई है.

पतंग विश्व के कई देशों में उड़ाई जाती हैं लेकिन भारत के कई राज्यों में भी पतंग विभिन्न पर्वो और त्योहारों पर उड़ाई जाती है.

माना जाता है कि पतंग का आविष्कार ईसा पूर्व तीसरी सदी में चीन में हुआ था.गुजरात पूरे विश्व में पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध है.

हर वर्ष 14 जनवरी को Makar Sankranti के अवसर पर यहां अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन होता है.

पतंगबाजी के दौरान आसमान इंद्रधनुषी रंगों से सराबोर हो जाता है.

गुजरात में Makar Sankranti को काइट फ्लाइंग डे के नाम से मनाया जाता है.

राजस्थान में तो पर्यटन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष तीन दिवसीय पतंगबाजी प्रतियोगिता होती है जिसमें जाने.माने पतंगबाज भाग लेते हैं.

राज्य में हर वर्ष मकर संक्रांति के दिन परंपरागत रूप से पतंगबाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.

जिसमें राज्य के पूर्व दरबारी पतंगबाजों के परिवार के लोगों के साथ विदेशी पतंगबाज भी भाग लेते हैं.

इस बार मकर संक्रांति को लेकर पंचांग भेद सामने आए हैं.

कुछ पंचांग में सूर्य का राशि परिवर्तन 14 जनवरी की दोपहर 2 बजे के बाद होगा.

जबकि कुछ पंचांग में रात 8 बजे बाद सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा.

हालांकि ज्यादातर पंचांग में 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाना श्रेष्ठ बताया गया है.

इस दिन सूर्य उत्तरायण होगा साथ ही सर्वार्थ सिद्धि और पारिजात योग भी बन रहा है.

मकर संक्रान्ति को घी,तिल,कंबल,खिचड़ी दान का है खास महत्व

ये योग शुभ और मंगलकारी माने जाते हैं.

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सभी मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे.

मकर संक्रांति से खरमास समाप्त हो जाएगा.

रविवार की दोपहर से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होगा.इस योग में किए शुभ काम सिद्ध हो जाते हैं.

इसके साथ ही 14 जनवरी को त्रयोदशी तिथि में गुरु और मंगल ग्रह तुला राशि में एक साथ रहेंगेए जिससे पारिजात योग बनेगा.

ये दोनों ही योग दुर्लभ और मंगलकारी हैं.

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मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर आते हैं और इसके बाद खरमास समाप्‍त होता है.

शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है.

इस तरह मकर संक्रांति एक तरह से देवताओं की सुबह मानी जाती है.

मकर संक्रांति के द‍िन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान का बहुत महत्व है.

कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है.मकर संक्रान्ति के दिन घी.तिल.कंबल.खिचड़ी दान का खास महत्व है.

मकर संक्रांति धूप का ही उत्सव है इसलिए धूप का आनंद लेने के लिए ही शायद पतंगबाजी को इस पर्व का हिस्सा बनाया गया.

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