Salman Khan’s father और दिग्गज पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता सलीम खान (Salim Khan) ने अयोध्या मामले पर आए फैसले पर जोरदार रिएक्शन दिया है.
एंटरटेनमेंट डेस्क,लोक हस्तक्षेप
नई दिल्ली:LNN:Salman Khan’s father सलीम खान ने शनिवार को कहा कि अयोध्या में मुस्लिमों को दी जाने वाली पांच एकड़ भूमि पर स्कूल बनाया जाना चाहिए.
अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सलीम खान (83) ने कहा कि भारत के मुसलमानों को मस्जिद नहीं, स्कूल की जरूरत है.
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अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करते हुए बॉलीवुड के तीन अभिनेताओं सलमान,
सोहेल और अरबाज के पिता ने कहा कि पैगंबर ने इस्लाम की दो खूबियां बताई है, जिसमें प्यार और क्षमा शामिल हैं.
अब जब इस कहानी (अयोध्या विवाद) का द एंड हो गया है तो मुस्लिमों को इन दो विशेषताओं पर चलकर आगे बढ़ना चाहिए.
‘मोहब्बत जाहिर करिए और माफ करिये.’ अब इस मुद्दे को फिर से मत कुरेदिये..यहां से आगे बढ़िए. सलीम खान ने यह अपील मुस्लिम समुदाय से की है.
भारतीय समाज के परिपक्व होने की बात करते हुए सलीम खान ने आईएएनएस से कहा, “फैसला आने के बाद जिस तरीके से शांति और सौहार्द्र कायम रही यह प्रशंसनीय है.
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अब इसे स्वीकार कीजिए.. एक पुराना विवाद खत्म हुआ. मैं तह-ए-दिल से इस फैसले का स्वागत करता हूं.
मुस्लिमों को अब इसकी (अयोध्या विवाद) चर्चा नहीं करनी चाहिए.
इसकी जगह उनको बुनियादी समस्याओं की चर्चा करनी चाहिए और उसे हल करने की कोशिश करनी चाहिए.
मैं ऐसी चर्चा इसलिए कर रहा हूं कि हमें स्कूल और अस्पताल की जरूरत है.
अयोध्या में मस्जिद के लिए मिलने वाली पांच एकड़ जगह पर कॉलेज बने तो बेहतर होगा.”
Salim Khan कहा, “हमें मस्जिद की जरूरत नहीं, नमाज तो हम कहीं भी पढ़ लेंगे..ट्रेन में, प्लेन में जमीन पर, कहीं भी पढ़ लेंगे. लेकिन हमें बेहतर स्कूल की जरूरत है.
तालीम अच्छी मिलेगी 22 करोड़ मुस्लिमों को, तो इस देश की बहुत सी कमियां खतम हो जाएंगी.”
बालीवुड में कई ब्लाकबस्टर फिल्में और इसका फार्मूला देने वाले फिल्म लेखक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी शांति पर जोर देते हैं.
उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री से सहमत हूं. आज हमें शांति की जरूरत है. हमें अपने उद्देश्य पर फोकस करने के लिए शांति चाहिए.
हमें अपने भविष्य पर सोचने की जरूरत है. हमें पता होना चाहिए कि शिक्षित समाज में ही बेहतर भविष्य है.
मुख्य मुद्दा यह है कि मुस्लिम तालीम में पिछड़े हैं. इसलिए मैं दोहराता हूं कि आइए हम इसे (अयोध्या विवाद को) द एंड कहें और एक नई शुरुआत करें.”