Rakesh Tikait भाकियू से बर्खास्त,भाकियू के दोफाड़ होने पर भड़के राकेश टिकैत

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Rakesh Tikait

लखनऊ:Rakesh Tikait:लखनऊ के गन्ना संस्थान सभागार में यूनियन के कार्यकारिणी की बैठक में किसानों के बड़े नेता महेंद्र सिंह टिकैत के दोनों बेटे नरेश टिकैत और

राकेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) से बर्खास्त कर दिया गया.

नरेश टिकैत को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है.

इसको लेकर राकेश टिकैत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

Rakesh Tikait:राकेश टिकैत ने कहा, ‘कुछ लोगों के विचार नहीं मिले. वे छोड़ कर चले गए.उन्होंने नया दूसरा संगठन बनाया है.

दूसरे संगठन को बधाई. ये सब सरकार के इशारे पर हो रहा है.

हमारा संगठन भारतीय किसान यूनियन हैं, जिसके राष्टीय अध्यक्ष नरेश टिकैत हैं.

संगठन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. चंद लोगों से कोई प्रभाव नही पड़ेगा.’

BKU के नए अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान ने किया ये दावा

BKU के नए अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान ने दावा किया है कि हम किसी राजनैतिक दल से नहीं जुड़ेंगे.

हम किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत के मार्ग पर चलेंगे चलने वाले हैं और हम अपने सिद्धांतों को विपरीत नहीं जाएंगे.

मीडिया से बात करते हुए राजेश सिंह चौहान ने कहा कि BKU (अराजनैतिक) का अध्यक्ष हूं.

हम 13 दिन आंदोलन के बीच रहे. आंदोलन के दौरान मैंने चंदे का रुपया नहीं छुआ.

हमारा काम किसान को सम्मान दिलाना है.

इन 7 लोगों ने टिकैत से अलग होकर अपना संगठन बना लिया है। भारतीय किसान यूनियन में दो फाड़ हो गए हैं.

अब राकेश टिकैत वाले गुट से BKU के कई नेता अलग हुए हैं.

भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के बैनर तले नया संगठन काम करेगा.

1 मार्च 1987 को महेंद्र सिंह टिकैत ने किसानों के मुददे को लेकर भाकियू का गठन किया था.

इसी दिन करमूखेड़ी बिजलीघर पर पहला धरना शुरू किया.

इस धरने के दौरान हिंसा हुई थी, तो किसान आंदोलन उग्र हो गया.

पीएसी के सिपाही और एक किसान की गोली लगने से मौत हो गई. पुलिस के वाहन फूंक दिए गए.

बाद में बिना हल के धरना समाप्त करना पड़ा.

17 मार्च 1987 को यूनियन की पहली बैठक हुई, जिसमें निर्णय लिया कि BKU किसानों की लड़ाई लड़ेगी और हमेशा गैर-राजनीतिक रहेगी.

इसके बाद से पश्चिम उत्तर प्रदेश में यूनियन किसानों के मुद्दे उठाने लगी. आज इस BKU में दो फाड़ हो गई.

वहीं, राकेश टिकैत ने सरकार के नए कृषि कानून का विरोध किया था.

यही नहीं राकेश टिकैत के आह्वान पर यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा आंदोलन चला.

कृषि कानून के वापस होने के बाद ही ये आंदोलन खत्म हुआ था.

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