Omicron Variant के मरीजों को स्वाद और गंध जाने की परेशानी क्यों नहीं हुई

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Omicron Variant

Omicron Variant : देश में कोरोना के नए मामले लगातार कम हो रहे हैं.

कई महानगरों में तीसरी लहर का पीक भी बीत चुका है.

इस बार कोरोना के संक्रमितों में फ्लू जैसे लक्षण ही देखे गए है.

लोगों में स्वाद और गंध जाने के लक्षण नहीं मिले हैं.

बहुत कम मरीजों में ही यह परेशानी देखी गई है.

जबकि पिछली बार अधिकतर संक्रमितों में यह कोरोना का सबसे आम लक्षण था.

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस बार लोगों को स्वाद और गंध ना आने की समस्या क्यों नहीं हुई.

एम्स नई दिल्ली के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी और कोविड वार्ड के डॉक्टर अनन्य गुप्ता बताते हैं कि इस बार लोग कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित हुए थे.

Omicron Variant : इस वैरिएंट में डेल्टा वैरिएंट की तुलना में काफी अधिक म्यूटेशन देखे गए थे. म्यूटेशन की वजह से वायरस की प्रॉपर्टी बदली और इससे लक्षणों में बदलाव आ गया था.

इस वजह से ना तो संक्रमितों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाया

और ना ही स्वाद या गंध महसूस करने की क्षमता पर असर हुआ.

हालांकि कुछ लोग अब भी स्वाद और गंध के एकाएक चले जाने की समस्या से जूझ रहे हैं,

लेकिन हो सकता है कि यह सब डेल्टा के मरीज हों. डॉ. गुप्ता का कहना है कि सार्स,

इन्फ्लूएंजा या किसी भी संक्रामक बीमारी में खांसी,

जुकाम, नाक बहना, सिर दर्द और थकान के लक्षण होते ही हैं.

इसलिए ओमिक्रॉन वैरिएंट में भी यह सब लक्षण थे.

लेकिन इसके अलावा डेल्टा वाला और कोई गंभीर लक्षण नहीं देखा गया था.

फ्लू और कोरोना मरीज में गंध-स्वाद जाने में फर्क

डॉ. अनन्य के मुताबिक, आम फ्लू होने पर लगभग 50 से 60 फीसदी लोगों की सूंघने की क्षमता कम होने की आशंका रहती है.

कई लोगों का स्वाद भी चला जाता है.

हालांकि यह ज्यादा दिनों तक नहीं रहता.

यह उतना गंभीर नहीं होता है. जबकि कोरोना संक्रमण के मामले में ऐसा नहीं होता.

कोरोना के मरीजों में गंध चले जाने पर उसके सामने चाहे जितनी भी तेज गंध वाली वस्तु रखी जाती थी,

लेकिन उन्हें इसकी गंध नहीं आती थी. पिछली लहर में कोरोना मरीजों में यह लक्षण काफी आम था.

उस दौरान अगर किसी की स्वाद या गंध महसूस करने की क्षमता खत्म हो गई थी

तो वह कोरोना जांच में संक्रमित ही मिल रहा था. तब डेल्टा वैरिएंट के कारण ऐसा हो रहा था.

इस वजह से शरीर में दिखता है यह लक्षण

डॉ. गुप्ता का कहना है कि जब वायरस लोगों के शरीर में प्रवेश की कोशिश करता है

तो यह होस्ट सेल में मौजूद ACE2 नाम के प्रोटीन से जुड़ता है.

ये प्रोटीन आमतौर पर नाक और मुंह में बहुतायत में होता है.

इसपर हमले के कारण स्वाद और गंध दोनों चले जाते हैं.

इस वजह से ही दूसरी लहर के दौरान अधिकतर लोगों को स्वाद या गंध ना आने की समस्या हुई थी.

लेकिन इस बार ओमिक्रॉन वैरिएंट में ऐसा नहीं हुआ है.

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