Republic Day : परेड का हिस्सा बनी BSF के ऊंटों की टुकड़ी, ग‍िनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम

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Republic Day

नई दिल्ली: Republic Day: जश्‍न और देश भक्ति के भाव में डूबे देशवासी उत्साह के साथ आज 73वें गणतंत्र दिवस को मना रहे हैं.

इस मौके पर दिल्‍ली में परेड का आयोजन हो रहा है.

राजपथ पर हो रही इस परेड के जर‍िए भारत पूरी दुनिया को अपनी शक्‍ति द‍िखा रहा है.

इस बार ऊंट पर सवार सीमा सुरक्षा बल के बैंड ने गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया

और दर्शकों को रोमांचित कर द‍िया. ऐसा नहीं है कि ये दस्‍ता पहली बार गणतंत्र दिवस की परेड का हिस्‍सा बन रहा है.

यह दशकों से लगातार इस परेड का हिस्‍सा रहा है.

सीमा सुरक्षा बल के जवान गुजरात और राजस्‍थान में पाकिस्‍तान से लगती अंतरराष्‍ट्रीय सीमा पर ऊंट पर सवार होकर सीमाओं की रक्षा में हर समय तत्‍पर रहते हैं.

ये दुनिया का अपनी तरह का एकमात्र फौजी दस्‍ता है,

जिसके कंधों पर देश की सरहदों की हिफाजत का दायित्‍व है.

इसकी वजह से इसका नाम ‘ग‍िनीज बुुक ऑफ वर्ल्‍ड र‍िकॉर्ड’ में दर्ज है.

सीमा सुरक्षा बल के कंधों पर देश की करीब 6,385 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा का दायित्‍व है, जिसमें मीलों तक फैला व‍िशाल रेगिस्तान,

नदी-घाटियों और हिमाच्छादित प्रदेश शामिल हैं.

इसको फर्स्‍ट लाइन ऑफ डिफेंस भी कहा जाता है.

Republic Day : दस्‍ता पहली बार 1976 में हुआ था शामिल

राजपथ पर सजीले ऊंटों पर सवार सीमा सुरक्षा बल का दस्‍ता पहली बार 1976 में शामिल हुआ था.

1990 से सीमा सुरक्षा बल का बैंड दस्‍ता भी परेड का हिस्‍सा बनने लगा. ऊंटों को रेग‍िस्‍तान का जहाज कहा जाता है.

रेगिस्‍तान में गाड़ि‍यों का चलना काफी मुश्किल होता है, लेकिन ऊंट रेतों के टीलों पर आसानी से दौड़ सकता है.

यही वजह है कि इन जवानों के लिए ऊंटों का चयन किया गया था.

इस तरह के फौजी दस्‍ते का उदाहरण विश्‍व में किसी भी दूसरी जगह पर देखने को नहीं मिलता है.

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर निकलने वाले ऊंटों के दस्‍ते में करीब सौ ऊंट शामिल होते हैं.

इन ऊंटों को भी नाम दिए जाते हैं. इस बार इस दस्‍ते का नेतृत्‍व जिस ऊंट को दिया गया है

उसका नाम है संग्राम. इस ऊंट पर कमांडेंट मनोहर सिंह खीची सवार थे.

इनके पीछे जो ऊंट राजपथ की शोभा बढ़ाएंगे उनमें युवराज, गजेंद्र,

मोनू, गुड्डू समेत दूसरे ऊंट कों नाम शामिल है.

हालांकि, कोरोना महामारी की वजह से इस बार इनकी संख्‍या कम थी.

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