Mullah Abdul Ghani Baradar घायल, सरकार बनाने को लेकर आपस में झड़प

0
153
Mullah Abdul Ghani Baradar

नई दिल्ली : Mullah Abdul Ghani Baradar घायल हो गया है, ऐसी खबरें है कि इन दोनों आतंकी गुटों के बीच आपस में झड़प हो गई.पंजशीर ऑब्जर्वर और NFR की रिपोर्ट्स के अनुसार, इस लड़ाई में गोली तक चल गई.

यही वजह है कि तालिबान ने सरकार गठन का ऐलान टाल दिया है (Taliban Government),

क्योंकि सरकार का नेतृत्व करने वाला बरादर अपना इलाज करा रहा है.

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अभी तक तालिबान सरकार नहीं बना पाया है.

दोहा शांति वार्ता में समावेशी सरकार बनाने का वादा करने वाले,

तालिबान को हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों के कारण तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Mullah Abdul Ghani Baradar) अल्पसंख्यक समुदायों को सरकार में शामिल करना चाहता है,

उप नेता सिराजुद्दीन और उसका आतंकवादी समूह हक्कानी नेटवर्क,

किसी के साथ सत्ता साझा नहीं करना चाहते.

हक्कानी नेटवर्क चाहता है कि सरकार मध्ययुगीन समय जैसी हो और उसमें कुछ भी आधुनिक ना हो.

हक्कानी नेटवर्क का कहना है कि उसने काबुल को जीता है.

और अफगानिस्तान की राजधानी पर उसी का दबदबा है.

पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद (Lt Gen Faiz Hameed) इस समय काबुल दौरे पर हैं.

वह यहां इसलिए हैं,

ताकि दोनों गुटों के बीच सुलह करवाकर हक्कानी नेटवर्क के हक में सरकार गठित करा सकें.

इससे पहले पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क का इस्तेमाल कर कम से कम दो बार काबुल में,

भारतीय दूतावास पर आतंकी हमला करवाया था.

हमीद का काबुल में होने के पीछे का दूसरा कारण ये है कि वह यहां तालिबान और पंजशीर के विद्रोहियों के बीच,

जारी लड़ाई की जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं.

इससे साफ है कि तालिबान अब ना केवल हक्कानी नेटवर्क बल्कि पाकिस्तान के दबाव का सामना भी कर रहा है.

एक तरफ तालिबान बोल रहा है कि उसने काबुल को जीता है,

तो वहीं दूसरी तरफ हक्कानी नेटवर्क का कहना है कि उसने काबुल को जीता है.

वहीं पाकिस्तान तालिबान के मुकाबले हक्कानी नेटवर्क के ज्यादा करीब है

और उसके हक में सरकार इसलिए भी बनवाना चाहता है,

ताकि बाद में उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सके.

गौरतलब है कि अमेरिका ने 20 साल से चले आ रहे अफगान युद्ध (Afghan War) को खत्म करते हुए अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है.

निकासी अभियान के बीच ही 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल में प्रवेश कर देश पर कब्जा कर लिया था.

इसी दिन अफगान सरकार गिर गई.

राष्ट्रपति रहे अशरफ गनी भी देश छोड़कर भाग गए थे.

चीन, पाकिस्तान और रूस जैसे देशों ने बयान जारी किए, जिनसे ऐसा लगता है कि ये तालिबान के आने से खुश हैं.

Follow us on Facebook

Follow us on YouTube

Download our App

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here