Babul quit Politics : BJP सांसद बाबुल सुप्रियो ने अचानक राजनीति छोड़ने का किया ऐलान

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नई दिल्ली: Babul quit Politics : इस महीने 7 जुलाई को नरेंद्र मोदी सरकार से इस्‍तीफा देने के बाद वरिष्‍ठ बीजेपी नेता बाबुल सुप्रियो ने फेसबुक पोस्‍ट लिखकर अपने दिल का दर्द जाहिर किया था.

उन्‍होंने कहा था कि उनसे इस्‍तीफा मांगा गया तो उन्‍होंने दे दिया.

उस वक्‍त किसी ने नहीं सोचा होगा कि मन ही मन वह एक बड़ा फैसला ले चुके हैं.

आखिरकार 31 जुलाई को एक और फेसबुक पोस्‍ट लिखकर सुप्रियो ने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया.

उन्‍होंने लिखा – ‘मैं तो जा रहा हूं, अलविदा।’ उन्‍होंने कहा कि वह एक महीने के भीतर अपना सरकारी आवास छोड़ देंगे.

वह संसद सदस्य पद से भी इस्तीफा दे रहे हैं.

उनकी इस घोषणा के बाद उनके प्रशंसकों और पार्टी नेताओं में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

पश्चिम बंगाल के आसनसोल से बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो राजनीति में आने से पहले बेहद प्रसिद्ध प्‍लेबैक सिंगर थे.

हाल ही में हुए बंगाल विधानसभा चुनावों में उन्‍हें पार्टी ने टॉलीगंज सीट से मैदान में उतारा था.

पर वह जीत हासिल करने में नहीं सफल रहे.

इसके कुछ दिन बाद ही उनसे केंद्रीय मंत्री पद से इस्‍तीफा मांग लिया गया। तब से वह पार्टी नेतृत्‍व से नाराज बताए जा रहे थे.

 

Babul quit Politics : किसी और पार्टी में नहीं जा रहा, मेरी सिर्फ एक पार्टी रही बीजेपी

फेसबुक पर एक लंबा चौड़ा पोस्‍ट कर बाबुल सुप्रियो ने अपने इस्‍तीफे के बारे में सबकुछ बताया है.

उन्‍होंने लिखा है- ‘मैं किसी और पार्टी में नहीं जा रहा हूं.

टीएमसी, कांग्रेस या सीपीआईएम, कहीं भी नहीं.

न ही किसी पार्टी ने उन्‍हें फोन किया है और न वे कहीं जा रहे हैा.

मैं सिर्फ एक टीम का खिलाड़ी हूं और हमेशा एक टीम का समर्थन किया है.

सिर्फ एक पार्टी की है बीजेपी वेस्‍ट बंगाल। मैंने अमित शाह.

और जेपी नड्डा के सामने राजनीति छोड़ने की बात की है.

मैं उनका आभारी हूं कि उन्होंने मुझे कई मायनों में प्रेरित किया है.

स्‍वामी रामदेव की सिफारिश पर मिला था चुनावी टिकट

सुप्रियो ने अपनी पोस्‍ट में स्‍वामी रामदेव का भी जिक्र किया.

उन्‍होंने लिखा- आसमान में स्वामी रामदेवजी से फ्लाइट पर छोटी सी बातचीत हुई.

जब पता चला कि बंगाल को बीजेपी बहुत गंभीरता से ले रही है,

सत्ता से लड़ेगी, लेकिन शायद सीट की उम्मीद नहीं.

इस चुनौती को बंगाली के रूप में लेना था उस समय.

इसलिए मैंने सबको सुना लेकिन जो महसूस किया वो किया अनिश्चितता से डरे बिना.

जो सही सोचा वो किया। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की नौकरी छोड़कर मुंबई जाते समय वर्ष 1992 में भी यही किया था,

आज फिर वही किया.

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