Ghar Ghar Ration Scheme पर संबित पात्रा ने कहा कि दिल्ली में बड़ा घोटाला होते-होते बचा
नई दिल्ली. Ghar Ghar Ration Scheme को लेकर दिल्ली के CM Arvind Kejriwal और केंद्र सरकार में रार बढ़ती जा रही है.
भाजपा नेता संबित पात्रा ने ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और केजरीवाल सरकार पर हमला बोला,
संबित पात्रा ने कहा कि दिल्ली में बड़ा घोटाला होते-होते बचा
उन्होंने कहा कि वन नेशन-वन राशन कार्ड का प्रावधान केंद्र सरकार ने किया था.
दिल्ली की सरकार ने इस विषय पर आगे बढ़ने से मना कर दिया, जिस कारण हजारों मजदूर आज राशन लेने से वंचित रह गए हैं।
इसके पहले दिल्ली के सीएम ने कहा है कि अगले हफ्ते से घर-घर राशन पहुंचाने का काम शुरू होने वाला था.
सारी तैयारी हो गई थी केंद्र सरकार ने 2 दिन पहले इसे रोक दिया.
केंद्र सरकार का कहना है कि हमने से इसकी मंजूरी नहीं ली गई हमने एक बार नहीं पांच बार आप से मंजूरी मांगी.
सरकार का दावा है कि एलजी ने दो कारणों का हवाला देते हुए राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना के कार्यान्वयन की फाइल को खारिज कर दिया-
पहला, केंद्र ने अभी तक योजना को मंजूरी नहीं दी है और दूसरा, कोर्ट में इसके खिलाफ एक केस चल रहा है.
Ghar Ghar Ration Scheme केंद्र सरकार ने क्रांतिकारी राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना को रोका : दिल्ली सरकार
उधर संबित पात्रा ने कहा कि दिल्ली के सीएम ने आज बात रखी है कि मोदी जी दिल्ली की गरीब जनता को उनके अधिकार से वंचित रख रहें.
और घर-घर राशन रोकने की कोशिश कर रहे हैं जबकि ऐसा नहीं हैं.
नेशनल फूड सेक्यूरिटी एक्ट और
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना द्वारा दिल्ली में भी जरूरतमंदों को राशन पहुंचाया जा रहा है.
पिज्जा-बर्गर की होम डिलीवरी तो राशन की क्यों नहीं?
अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘इस देश में अगर स्मार्टफोन,
पिज्जा की होम डेलिवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं?
जानें क्या है रार की वजह?
वैसे ये पहली बार नहीं है जब इस तरह से डोर स्टेप राशन डिलीवरी को लेकर विवाद शुरू हुआ हो.
पहले भी केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति जताई थी कि ये योजना नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आती है,
जिसमें कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है न कि राज्य.
इसलिए दिल्ली सरकार इस योजना का न तो नाम बदल सकती है
और न ही इसको किसी दूसरी योजना के साथ इसे जोड़ा जा सकता है.
दिल्ली सरकार इस योजना को मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना के नाम से शुरू करना चाहता थी, केन्द्र को आपत्ति थी.
केजरीवाल सरकार ने कैबिनेट की मीटिंग में मुख्यमंत्री हटा दिया और फिर से इसे शुरू करने के लिये केन्द्र से मंजूरी मांगी,
केन्द्र ने मंजूरी देने से इंकार कर दिया है.