Movie Review : द स्काई इज पिंक,प्रियंका-फरहान की फिल्म, समझाती है जिंदगी का सच

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the sky is pink

the sky is pink;जाना सभी को है,क्या हो जब आपको पता चले कि जिन्दा रहने के लिए आपके पास सिर्फ कुछ साल हैं? या कुछ दिन या फिर सिर्फ चंद घंटे? मैंने भी नहीं सोचा. हम जिंदगी की दौड़-भाग में इतने मशगूल रहते हैं कि जिंदगी जीना भूल जाते हैं. हम ये भी भूल जाते हैं कि एक दिन हमें ये दुनिया छोड़ देनी है.

एंटरटेनमेंट डेस्क,लोक हस्तक्षेप

जिंदगी का सबसे बड़ा सच मौत है.प्रियंका चोपड़ा और फरहान अख्तर स्टारर फिल्म द स्काई इज पिंक इस शुक्रवार को रिलीज हो रही है. इस फिल्म में क्या है खास.

the sky is pink;अपने जन्म से ही मौत से जंग लड़ने वाली मोटिवेशनल स्पीकर और किताब ‘माय लिटिल एपिफेनीज’ की युवा लेखिका आयशा चौधरी जब तक रही, जिंदगी के इसी फलसफे को दुनिया से बांटती रही.

निर्देशिका शोनाली बोस की फिल्म ‘द स्काई इज पिंक‘ महज 18 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गई इसी जिंदादिल लड़की आयशा के जज्बे और उसके परिवार यानी पापा निरेन चौधरी उर्फ पांडा,

मां अदिति चौधरी उर्फ मूज और भाई ईशान उर्फ जिराफ के संघर्ष की कहानी है.

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दिल्ली के चांदनी चौक में अदिति (प्रियंका चोपड़ा) और निरेन चौधरी (फरहान अख्तर) की तीसरी संतान के रूप में जन्मीं आयशा (जायरा वसीम) जन्म से ही एससीआईडी नामक रेयर इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम से ग्रस्त थी,

जिसमें छोटा से छोटा इंफेक्शन भी प्राणघातक साबित होता है, इसलिए मरीज बमुश्किल साल भर बच पाता है.

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अदिति और निरेन इस जेनेटिक बीमारी के चलते अपनी पहली बेटी तान्या को पहले ही खो चुके थे,

नतीजतन आयशा को बचाने के लिए वे राजधानी छोड़ लंदन जा पहुंचते हैं.

उसे बचाने के लिए चंदा मांगने से लेकर लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप तक की हर जद्दोजहद करते हैं.

वहां छह महीने की उम्र में आयशा का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है,

जिसके साइड इफेक्ट के चलते कुछ सालों बाद आयशा को फेफड़े की बीमारी पल्मोनरी फ्राइबोसिस हो जाती है.

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इसके बाद यह फैमिली खासकर अदिति अपनी बेटी को ज्यादा से ज्यादा समय तक जिंदा रखने

और उसकी लाइफ के हर पल को खुशियों से भर देने को अपना मिशन बना लेती है.

वैसे, अदिति, निरेन और आयशा की इस कहानी में भले ही दुखों का पहाड़ हो,

लेकिन राइटर-डायरेक्टर शोनाली बोस ने अपने फ्रेश ट्रीटमेंट से इसे महज एक दुख भरी दास्तान नहीं बनने दिया है

और दर्शकों के लिए हंसने-मुस्कुराने के भी भरपूर पल जुटाए हैं.

इसमें आयशा के प्यारे पांडा और मूज की अतरंगी लव स्टोरी भी है,

तो अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर गुरने वाली मां का पजेसिवनेस वाला प्यार भी.

फिल्म में अदिति का हेलमेट पहनकर निरेन के घर जाने, बेटे ईशान का डीएनए पिता से न मैच होने, अदिति का आयशा के लिए डेट सेट करने जैसे कई सीन गुदगुदाते हैं.

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शोनाली ने बड़ी समझदारी से इस ट्रैजिक स्टोरी का टोन हल्का-फुल्का और हंसी-खुशी वाला रखा है, लेकिन फिल्म का सेकंड हाफ बेहद इमोशनल है.

फिल्म जैसे-जैसे क्लाइमैक्स की ओर पहुंचती हैं, देखने वालों की आंखों की नमी भी बढ़ती जाती है.

फिल्म का हर किरदार दिल छू लेता है. फिल्म के डायलॉग्स भी काफी प्रभावी हैं, जो याद रह जाते हैं.

परफॉर्मेंस के मामले में प्रियंका, फरहान, जायरा, रोहित सभी ने काबिल-ए-तारीफ काम किया है और इन किरदारों को भरपूर जिया है

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आपको प्यार हो जाएगा उस मां अदिति से, जो अपनी बेटी की खातिर दिन-रात एक कर देती है.

प्यार हो जाएगा उस पति निरेन से, जो अपनी पत्नी के क्रिश्चन बनने पर एक बार भी सवाल नहीं करता.

प्यार हो जाएगा उस भाई ईशान (रोहित सुरेश सराफ) से, जो बहन से कहता है कि मरने के बाद तुम्हें थोड़े दिन अकेले अजस्ट करना पड़ेगा,

फिर तो हम सब आ ही जाएंगे और प्यार हो जाएगा उस आयशा से,

जो अपने पिता से कहती है कि चिंता मत करो, मां से लौटने से पहले मैं नहीं टपकूंगी,

वरना वह तुम्हारा क्या हाल करेंगी, यह सोचकर ही मुझे हंसी आ रही है. फिल्म का म्यूजिक औसत है.

कलाकार : प्रियंका चोपड़ा,फरहान अख्तर,जायरा वसीम,रोहित सुरेश सराफ

निर्देशक:शोनाली बोस

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