Padmavat Movie पर हंगामे को संजीदगी से लेने की है जरूरत

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Padmavat Movie

लखनऊ:LNN: देश में Padmavat Movie के विरोध पर जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन के बीच लखनऊ में 25 जनवरी को सिनेमा हॉल के बाहर का नजारा अलग था.

करणी सेना के कुछ लोग Padmavat Movie का विरोध कर रहे थे लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से.

ये लोग गुलाब का फूल देकर Padmavat Movie देखने जा रहे लोगों से फिल्म न देखने की गुजारिश कर रहे थे.

24 जनवरी को यहां के कुछ सिनेमा हॉल में कुछ लोगों ने हुड़दंग करने की कोशिश की.

पुलिस ने हॉल से खींच-खींचकर हंगामा कर रहे लोगों की धुनाई की.

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इसी तरह इस पूरे विवाद में हंगामा छत्तीसगढ़ में भी हो रहा था.

छत्तीसगढ़ की पुलिस ने इससे सख्ती से निपटने का फैसला किया.

24 जनवरी को कुछ लोग हंगामा कर रहे थे. पुलिस ने लाठीचार्च कर दिया. कई लोगों को चोटें आईं.

पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. उन लोगों ने लिखित में माफी मांगी.

Padmavat Movie: विवाद के बाद करणी सेना को पूरा देश जान चुका है

आइंदा ऐसे किसी विरोध प्रदर्शन में न शामिल होने के वायदे पर पुलिस ने उन्हें छोड़ा.

25 जनवरी को फिल्म रिलीज के दिन छत्तीसगढ़ के 54 थियेटरों से 37 थियेटरों में ये फिल्म दिखाई गई.

वहीं करणी सेना का बिहार से कई लोग नाम तक नहीं जानते होंगे.

पर 25 जनवरी को बिहार के कोने-कोने में न जाने कहां से करणी सेना के कार्यकर्ता निकलने लगे.

मुज्जफरपुर में तलवार-भाले गड़ासे लेकर लोगों ने रैली निकाली. पद्मावत का विरोध किया गया.

नालंदा जिले में मोटरसाइकिल रैली निकाली गई. सिनेमा हॉल में तोड़फोड़ की गई.

नेशनल हाइवे को जाम कर दिया गया. मोतिहारी में  लोग सड़कों पर उतर गए. पुतले जलाए गए.

गया और नवादा, बेतिया, छपरा और सीतामढ़ी से विरोध प्रदर्शन की खबरें आईं.

बिहार के इन इलाकों में रानी पद्मावती की कहानी भी पता नहीं होगी. लेकिन विरोध प्रदर्शन हर जगह हो रहे थे.

सूरजपाल अमु नाम व्यक्ति ने दीपिका पादुकोण के सिर पर रखा 10 करोड़ का इनाम

पद्मावत विवाद में जो बात गौर करने वाली है कि क्या दिल्ली,हरियाणा, मुंबई और गुजरात,राजस्थान और बिहार प्रदेश सरकारों ने व स्थानीय प्रशासन ने करणी सेना या विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों से सख्ती से निपटने का प्रयास किया.

पद्मावत विवाद के पहले लोगों को करणी सेना के बारे में पता नहीं था पर अब इस विवाद के बाद पूरा देश इस संगठन को जान चुका है.

इसके नेता लोकेंद्र सिंह काल्वी को कोई नहीं जानता था. इस विवाद के बाद इस शख्स को सब जानने लगे हैं.

सूरजपाल अमु नाम शख्स जो दीपिका पादुकोण के सिर पर 10 करोड़ का इनाम रख देता है,वो भी इसी विवाद के बाद पता चला.

इस विवाद से यकीन पुख्ता होता है कि अगर कुछ गुंडे लफंगें भी इकट्ठा होकर किसी मुद्दे को एक समुदाय

के मान अपमान का मसला बना दें तो बड़ी-बड़ी सरकारें उनके सामने घुटने टेक सकती हैं.

अगर किसी मसले में किसी खास वोट बैंक के नाराज होने का डर है तो सारे सियासी दल एकसमान हो जाते हैं.

पर लखनऊ प्रशासन और छत्तीसगढ़ की पुलिस ने जिस प्रकार इससे सख्ती से निपटने का फैसला किया वह बताता है,

कि मामले को इस तरह से भी पलटा जा सकता है.

लेकिन ऐसे विवाद को न थामने की मजबूरी दिखाने वाली सरकारों के खिलाफ कार्यवाही तो होनी चाहिए.

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